बहरे कई प्रकार के



बहरे      कई   प्रकार   के,    भांत -     भांत   के लाभ |
जब तक काम पड़े  नहीं, तब तक लाभ ही लाभ ||
तब तक लाभ ही लाभ ,  चिल्ला कर वक्ता  कहे |
मन मन हँसता जाय , वक्ता का  पसीना बहे ||
कह 'वाणी' कविराज , पोस्ट   मेन  एमो लाया |
सुनी  एक आवाज ,तीन मंजिल  कूद आया ||